The 5-Second Trick For मध्यकालीन भारत का इतिहास

फिर इसी तकनीक पर अपनी मिसाइलों और रॉकेटों को बनाया. आइए जानते हैं जर्मनी के इस बदला लेने के हथियार की कहानी...

बाबर के सदर-उस-सुदूर (धार्मिक मामलों का मंत्री) शेख जेतुद्दीन ख्वाजा ने फारसी भाषा में इसका अनुवाद किया।

फिरोज तुगलक रचित फुतुहात-ए-फिरोजशाही से उसके शासनकाल का विवरण मिलता है।

नवपाषाण युग का अन्त होते होते धातुओं का प्रयोग शुरू हो गया था। ताम्र पाषाणिक युग में तांबा तथा प्रस्तर के हथियार ही प्रयुक्त होते थे। इस समय तक लोहा या कांसे का प्रयोग आरम्भ नहीं हुआ था। भारत में ताम्र पाषाण युग की बस्तियां दक्षिण पूर्वीराजस्थान, पश्चिमी मध्य

अरबों ने भारत में अन्य विजित प्रदेशों की तरह धर्म पर आधारित राज्य इतिहास स्थापित करने का प्रयास नहीं किया। हिन्दुओं को महत्त्व के पदों पर बैठाया गया। इस्लाम धर्म ने हिन्दू धर्म के प्रति सहिष्णुता का प्रदर्शन किया। अरबों की सिंध विजय का आर्थिक क्षेत्र भी प्रभाव पड़ा। अरब से आने वाले व्यापारियों ने पश्चिम समुद्र एवं दक्षिण पूर्वी एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार किया। अतः यह स्वाभाविक था कि, भारतीय व्यापारी उस समय की राजनीतिक शक्तियों पर दबाव डालते कि, वे अरब व्यापारियों के प्रति सहानुभूति पूर्ण रुख़ अपनायें। तुर्की आक्रमण

एनसीईआरटी ने अपनी किताबों से क्या हटाया जिसे केरल में पढ़ाना जारी रखा जाएगा

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बाबर द्वारा रचित आत्मकथा तुजक-ए-बाबरी  में तत्कालीन हिंदुस्तान की राजनीतिक दशा, प्राकृतिक दृश्य, आबोहवा, फल-फूल, सब्जियाँ,एवं पौधों की जानकारी दी गई है। 

भारत हीरों का खनन करने वाला पहला देश है।

सीसम विजय के बाद कासिम राओर की ओर बढ़ा। दाहिर और मुहम्मद बिन कासिम की सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ। इसी युद्ध में दाहिर मारा गया। दाहिर के बेटे जयसिंह ने राओर दुर्ग की रक्षा का दायित्व अपनी विधवा माँ पर छोड़कर ब्राह्मणावाद चला गया। दुर्ग की रक्षा करने में अपने आप को असफल पाकर दाहिर की विधवा पत्नी ने आत्मदाह कर लिया। इसके बाद कासिम का राओर पर नियंत्रण स्थापित हो गया। ब्राह्मणावाद पर अधिकार

भारत और विश्व इतिहास में हुई प्रमुख ऐतिहासिक संधियां

यूरोप का समुंद्र गुप्त कौन था? उत्तर- नेपोलियन

44Books का एंड्रोइड एप डाउनलोड करें “ना कहने का साहस रखें। सच्चाई का सामना करने का साहस रखें। सही कार्य करें क्योंकि यह सही है। यह जीवन को सत्यनिष्ठा से जीने की जादुई चाबियां हैं।” – डब्ल्यू क्लेमैन्ट स्टोन

जिसे हम ‘’मेसोपोटामिया की सभ्यता’’ के नाम से जानते हैं. मेसोपोटामिया का मतलब दो नदियों के बीच की भूमि का स्थान. ऐसा नहीं है कि मानव सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता से हीं शुरू हुई पर हाँ यह सभ्यता एक विकसित सभ्यता थी. बाकि मानव की आदम सभ्यता का तो अनुमान तक भी लगाना मुश्किल है.

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